हेलो सीनियर ! अगर आप घूमने फिरने वालों में से हैं और आपको एडवेंचर जगह पर घूमना बहुत अच्छा लगता है,तो मेरे ख्याल से आपको इस बार क्यों ना कर्नाटक के हंपी को एक्सप्लोर पर जाना चाहिए, ऐतिहासिक और धार्मिक-स्थल प्राचीन इमारत मंदिरों के साथ-साथ यह जगह खूबसूरत और एडवेंचर लवर के लिए सबसे बेहतरीन मानी जाती है। तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा यह शहर बहुत शांत और सुकून देने वाला है। इसका इतिहास अति प्राचीनतम और सबसे अलग-अनूठा इतिहास रहा है।
हम्पी का इतिहास –
आज हम हम्पी को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में देखते हैं, यहां का हर मंदिर और स्मारक विजयनगर की गौरवशाली विरासत की कहानी-गाथा को दोहराता है। आखिर ऐसा क्या हुआ था कि रोम से भी सुंदर उस समय के विजयनगर को किसकी नजर लग गई की देखते ही देखते यह खंडहर में तब्दील हो गया मानो या कर दिया गया, यह सब जानने के लिए हमें समय में थोड़ा पीछे चलना होगा। भारत के सबसे शक्तिशाली वंश विजयनगर का इतिहास मध्यकाल प्रथम शताब्दी से शुरू होता है, यह वह समय था जब सम्राट अशोक का कार्यकाल था। तीसरी शताब्दी तक विजयनगर अशोक सम्राट का ही भाग था, बाद में विजयनगर साम्राज्य की राजधानी बना, विजयनगर के हिंदुओं के सबसे विशाल साम्राज्य में से एक था। 1336 ईस्वी में इस साम्राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का नाम के दो भाइयों के द्वारा की गई थी। इन दोनों भाइयों के कार्यकाल के बाद 1509 ईस्वी में राजा कृष्णदेव राय ने विजयनगर साम्राज्य का कार्यभार संभाला, और उन्होंने अपने साम्राज्य को मजबूती प्रदान की उन्होंने दक्षिण भारत के बड़े हिस्से को संगठित किया, जिससे विजयनगर साम्राज्य अत्यधिक समृद्ध और शक्तिशाली बनता जा रहा था। उन्होंने कई स्मारकों मंदिरों का निर्माण कराया जो समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के रूप में आज भी देखे जा सकते हैं। राजा कृष्णदेव राय के काल में विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में बहुत सारे किलो-मंदिरों और वास्तुकला के प्रतीकों का निर्माण कराया गया था। हम्पी विजयनगर के विशाल साम्राज्य में लगभग 5 लाख लोग एक साथ शांति और समृद्धि के साथ अपना जीवन व्यतीत करते थे,
आर्किटेक्ट और खुदाई के दौरान मिले सबूतों के बाद हमें पता चला, पहले के समय में यहां पर मंदिर महल, तहखाना, जल खंडहर पुराने बाजार, शाही मंडप ,चबूतरे, गढ़ और अनगिनत इमारतें थी, जिनके निशान आज भी मौजूद हैं। कृष्ण देव राय के समय में ही ऐसे मंदिरों का निर्माण कराया गया था जिनके खंभ स्तंभों को छूने- थपथपाने पर उनमें संगीत की ध्वनि निकलती है। पहले के समय में राजाओं के द्वारा अनाज सोने और रुपए को तोला जाता था, और उसे गरीबों में बांट दिया जाता था,यह सब करने के लिए उन्होंने अपने महल में एक बहुत बड़े किंग बैलेंस का निर्माण कराया था। 1519 में राजा कृष्णदेव राय की मृत्यु के बाद विजयनगर साम्राज्य की शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होने लगी और यहीं से इस राज्य के पतन की शुरुआत हुई, बीदर,बीजापुर,गोलकुंडा,अहमदनगर और बरार के सभी मुस्लिम सुल्तानों ने विजयनगर पर एक साथ आक्रमण करने का फैसला लिया, 1565 में तालीकोटा की लड़ाई में इन सभी मुस्लिम सेनाओं के हाथों विजयनगर की सेना को हार का मुंह देखना पड़ा, राजा कृष्णदेव राय के न होने और कमजोर सेना के कारण विजयनगर साम्राज्य को मुस्लिम सेनाओं के द्वारा बुरी तरह से लूट लिया गया और बहुत ही भयंकर कत्लेआम किया गया,
इस आक्रमण के बाद आक्रमण के बाद विजयनगर साम्राज्य का अंत हो गया और उनका वैभव ध्वस्त हो गया। सिर्फ ऐसा नहीं था कि सभी मुस्लिम सेनाओं ने मिलकर विजयनगर को लूटा था, बल्कि उन्होंने वहां के सबसे महत्वपूर्ण मंदिर और शिलालेखों को बुरी तरह से ध्वस्त कियाऔर अपने सैनिकों के द्वारा कई महीनो तक हथौड़ी और लोहे के औजारों से मंदिरों की तुड़ाई करवाई, हमले के बाद से ही हम्पी के मंदिर भवन बुरी तरह से नष्ट हो गए थे , जो इतिहास के सबसे क्रूर आक्रमण में से एक माना जाता है, शायद मुस्लिम सेनाओं का मकसद विजयनगर को केवल लूटने नहीं बल्कि बुरी तरह से ध्वस्त और उसके वैभवशाली इतिहास को खत्म करना था। विजयनगर साम्राज्य भले ही तालीकोटा युद्ध के बाद कहीं इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया था। लेकिन इसकी संस्कृति वास्तु-कला आज भी भारत की समृद्ध धरोहर का एक बहुत ही अनोखा हिस्सा है, हम्पी के मंदिर यह सिर्फ हमारे भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सांस्कृतिक खजाने के रूप में है, इसीलिए यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। विजयनगर का पतन भले एक बहुत ही क्रूर और निर्मम तरीके से किया गया था,लेकिन आज भी यहां का हर एक पत्थर कुछ ना कुछ कहानी कहता है जिन्हे देखने के लिए हर साल यहां लाखों पर्यटकों की भीड़ पहुंचती है।
हम्पी के प्रमुख मंदिरों की सूची –
हम्पी अपने प्राचीन मंदिरों ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों के समूह के रूप में जाना जाता है,यहां का विरुपाक्ष मंदिर सबसे पुराना और सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है। जो भगवान शिव को समर्पित है, इसके अलावा यहां और भी मंदिर है जिसमें मुख्य रूप से विट्ठल मंदिर, जो पत्थर के रथ के रूप में भगवान शिव को समर्पित हैं। अच्युत राय मंदिर जो भगवान कृष्ण और विजयनगर के सबसे प्रतिभाशाली साम्राज्य को दर्शाता है, ऐसे ही और भी बहुत सारे मंदिरों के बारे में नीचे एक-एक करके बताया गया है जो पर्यटकों को हम्पी की यात्रा करने के लिए आकर्षित करते हैं।
विरुपाक्ष मंदिर
विरुपाक्ष मंदिर जिसे पंपा पति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है एक बहुत ही ऐतिहासिक और सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है जो की विजयनगर साम्राज्य हंपी का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है। दुग्ध नदी के दक्षिणी छोर पर स्थित यह मंदिर हेमकुंड पहाड़ी के पास पड़ता है। यह मंदिर श्री भगवान विरुपाक्ष को समर्पित है, इस मंदिर का निर्माण राजा देवराज द्वितीय के एक शासक लंकन दंदेशा ने करवाया था जो विजयनगर साम्राज्य के शासक रहे थे। तब से यह विरुपाक्ष मंदिर हंपी में तीर्थकर्ता का सबसे मुख्य केंद्र है। मंदिर में जाने पर आपको अलग-अलग छोटे-बड़े और भी कई सारे मंदिर देखने को मिलेंगे, जो अब आसपास के खंडहरों में बदल चुके हैं। यह मंदिर सच में पर्यटकों को देखने लायक सबसे अद्भुत मंदिर है, जो की बहुत ही अनूठे स्ट्रक्चर से बनाया गया है। इस मंदिर में सबसे दिलचस्प एक आपको लक्ष्मी नाम की हाथी ( हथनी ) देखने को मिलेगी जो यहां पर जाने वाले सभी भक्तों पर्यटकों को अपनी सूंड से आशीर्वाद देती है।
विट्ठल मंदिर
किसी रथ की भांति दिखने वाला यह मंदिर विट्ठल नाम के नाम से जाना जाता है, भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर राजा कृष्णदेव राय द्वितीय के द्वारा बनवाया गया था, यह मंदिर अपने अद्भुत कलाकारी से बनाए गए महीन नक्काशी और म्यूजिकल पिलर के लिए जाना जाता है, म्यूजिकल पिलर से मेरा मतलब है कि यहां पर मंदिर में 56 पिलर खंबे हैं जिनको छूने टच करने पर उनमें 72 टाइप की संगीत ध्वनि निकलती हुई सुनाई देती है। यह मंदिर कारीगरी की रचनाओं का सबसे बेजोड़ नमूना है जिसमें बहुत ऊंची परिसर की दीवारें और तीन ऊंचे-ऊंचे गोपुरम बने हुए हैं, मंदिर के आसपास के परिसर में हाल मंदिर और भी कई मंडप मौजूद है, आप यहां पर हर छोटी बड़ी चीजों- संरचनाओं में चित्र देखेंगे जो दीवारों पर बड़ी ही बारीकी से बनाए गए हैं। हंपी के सबसे ज्यादा विजिट किए जाने वाले पर्यटक स्थल के रूप में पॉपुलर विट्ठल मंदिर की भव्यता और सुंदरता देखने लायक होती है।
अच्युतराय मंदिर
एक बहुत बड़े परिसर के रूप में पहले मंदिरों का एक समूह जिसे अच्युतराय टेंपल कहते हैं, जिसे तिरुवेंकाटेश्वर मंदिर भी कहा जाता है, यह मंदिर हंपी में स्थित है यह विजयनगर साम्राज्य की वास्तुकला शैली द्रविड़ शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है जिसे द्रविड़ शैली में बनाया गया है। मंदिर के परिसर में चारों तरफ ऊंची ऊंची दीवारें हैं जहां दीवारों में आपको देवी देवताओं के क्षतिग्रस्त मूर्तियों के चित्र देखने को मिलेंगे, जो की मुसलमानों के शासनकाल में तोड़े गए थे। इसके बावजूद भी इस मंदिर को यूनेस्को धरोहर की लिस्ट में जगह मिली, मंदिर के बाहर एक बहुत बड़े हॉल परिसर में बने हुए छोटे-बड़े चित्र देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे, कि उन चित्रों को कैसे उन पिलर पर उकेरा गया है ,इन मूर्तियों को देखने पर उनकी झलक पौराणिक कथाओं से संबंधित देवी देवताओं की लगती है। मंदिर में और भी कई दीवारों और गोपुरम पर जटिल नक्काशी के साथ अलग-अलग देवी देवताओं के चित्र बनाए गए हैं, जो विजयनगर साम्राज्य की कला और समृद्धि की सांस्कृतिक झलक दिखाते हैं।
कृष्ण मंदिर
हंपी यात्रा मंदिर घूमने जाने पर आपका कृष्ण मंदिर देखना बहुत ही मजेदार और रोमांचक होगा, यह मंदिर भगवान कृष्ण के बचपन बालकृष्ण को समर्पित है इसे लगभग 500 साल पहले राजा कृष्णदेव राय ने बनवाया था, जब वह एक उड़ीसा के राजा को हराकर आये थे। मंदिर में जाने पर आपको सबसे पहले प्रवेश द्वार दिखाई देगा, जो बहुत बड़ा और सबसे सुंदर प्रवेश द्वार बना हुआ है यह लगभग 5 मंजिलों के बराबर का है, पहले के समय में ग्रेनाइट से बनाया गया था। जिसके अभी भी कई हिस्सों में ग्रेनाइट देख सकते हैं, बाकी कई हिस्से समय के साथ टूट गए हैं, मंदिर की देखरेख लगातार चालू है जिसमें चीजों को पहले से बेहतर किया जा रहा है। मंदिर में और भी बहुत सारी दिलचस्प नकाशी दीवारों पर बनी हुई है जैसे कमल के फूल नाचती हुई लड़कियां, हाथी घोड़े, यह सब चित्र बनाने का मकसद उस समय राजा का जीतकर अपने राज्य में वापस आना होता था, उनकी खुशी में यह दीवारों पर चित्र बनाए जाते थे। इसमें रखी हुई भगवान कृष्ण के बचपन की मूर्ति को राजा कृष्णदेवराय उड़ीसा से लाए थे। हालांकि अब यह मंदिर उतना पूजा पाठ के लिए प्रयोग में नहीं है, लेकिन फिर भी यहां घूमने फिरने वालों के लिए बढ़िया जगह है। यहां पर आकर पुराने समय की कला और इतिहास के बारे में आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा, अगर आप फोटोग्राफी वीडियो बनाना पसंद करते हैं तो यह मंदिर आपके लिए बेहतरीन जगह है जहां चारों तरफ मूर्तियां और देखने लायक और भी बहुत सारी दिलचस्प जगह है कभी भी यहां घूमने जाएं तो कृष्ण मंदिर को अपनी बकेट लिस्ट में जरूर शामिल करें।
हजार राम मंदिर
हजार राम मंदिर हंपी के महत्वपूर्ण मंदिर में से एक है, यह छोटा सा मंदिर उस समय शाही राजाओं का मुख्य मंदिर था। जिसमें कभी विजयनगर के राजा महाराजा पूजा पाठ किया करते थे। यह मंदिर हिंदू देवी देवताओं में भगवान राम को समर्पित है, इसलिए इस मंदिर का नाम हजार राम मंदिर है, हजार राम मंदिर नाम का दूसरा मतलब यह भी है, कि मंदिर की दीवारों पर कई हजारों रामायण से जुड़ी मूर्तियां उकेरी गई है। इसलिए इसका नाम हजार राम मंदिर रखा गया था, हजार राम मंदिर हंपी के सभी मंदिरों के बीच में है। तो यहां पहुंचने में आपको ज्यादा समय नहीं लगेगा आप मंदिर में बड़े-बड़े दरवाजे और नक्काशी-दार स्तंभ देख पाएंगे, मंदिर के चारों तरफ बनी दीवारों पर रामायण का बहुत ही सुंदर चित्र देखने को मिलता है। आप हजार राम मंदिर को सुबह या शाम के समय ठंडा मौसम में खूबसूरती के साथ बड़े आराम से एक्सप्लोर कर सकते हैं।
बदाविलिंगा मंदिर
बदाविलिंगा मंदिर में भगवान शिव के लिंग की पूजा की जाती है जो की सबसे बड़ा शिवलिंग है, इसमें भगवान की तीन आंखों को दिखाया गया है। और सबसे बड़ी बात इस शिवलिंग को एक ही पत्थर से काटकर बनाया गया है। बदाविलिंगा के दर्शन के लिए यहां हमेशा भीड़ लगी रहती है मंदिर से थोड़ी दूर नहर से यहां शिवलिंग तक पानी पहुंचता है, यह पानी कभी खत्म नहीं होता मंदिर के रखरखाव में सिर्फ एक 92 साल के बूढ़े व्यक्ति हैं, यह नियमित इस 9 फीट ऊंचे शिवलिंग की साफ सफाई एवं पूजा पाठ करते हैं। वैसे तो यह मंदिर शिवलिंग के अलावा खंडहर में बदल चुका है फिर भी आपके यहां जाने पर शांति और सुकून का एहसास होगा।
श्री कोडंडाराम मंदिर
तुंगभद्रा नदी के तट पर आपको चक्र तीर्थ के पास यह श्री कोडंडाराम मंदिर देखने को मिलेगा, यहां के आसपास रखे हुए बड़े पत्थरों शिला-लेखों पर रामायण के सभी मुख्य पात्रों के चित्र दिखाई देते हैं। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है, द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर की जटिल नकाशी पत्थरों की अजब शिल्प कला दिखाती है। मंदिर के आंतरिक गर्भग्रह में भगवान राम-सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रखी हुई है। मंदिर के प्रवेश का नजारा बहुत सुंदर और शांति पूर्ण रहता है, यदि आप शहर की भीड़भाड़ से दूर शांति सुकून की तलाश में निकले हैं, तो यहां मंदिर में जरुर विजिट करें।
ससिवेकालु गणेश मंदिर
हम्पी के इतनी सारी यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल जगहें होने के बाद ऐसी और भी बहुत सारी जगहें हैं। जो विश्व धरोहर यूनेस्को में शामिल है, उनमें से एक बहुत ही सुंदर उदाहरण है ससिवेकालू गणेश मंदिर ‘ यह मंदिर भगवान गणेश की एक बहुत ही विशाल प्रतिमा के रूप में देखा जाता है। जिसे सिर्फ एक ही चट्टान से काटकर और तरास कर बनाया गया था। ससिवेकालू गणेश जी की मूर्ति लगभग 8 फीट ढाई मीटर से ऊंची है, और यह हंपी के सभी टूरिस्ट अट्रैक्शन आकर्षणों में से एक है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां विजिट करते हैं इंडिया के ही नहीं बल्कि बाहर कंट्री के लोग भी यहां इन मूर्तियों को देखने आते हैं एक विश्व धरोहर के रूप में ,ससिवेकालू गणेश जी मंदिर का हिंदू पौराणिक कथाओं में एक बहुत ही सुंदर उदाहरण मिलता है। कथा के अनुसार भगवान गणेश जी को खाने पीने का बहुत शौक था,एक बार भूख लगने पर उनके सामने स्वादिष्ट भोजन रखे गए, 56 तरह के भोजन उनके सामने रख दिए गए हो, जब उन्होंने इतना स्वादिष्ट खाना देखा तो ससिवेकालू गणेश जी उस खाने को खाते गए,उन्होंने इतना खाना खा लिया कि मानो उनका पेट फटने ही वाला था। इस संकट की घड़ी से बचने के लिए गणेश जी ने एक विशालकाय सांप को पकड़कर अपने पेट के चारों तरफ कसकर लपेट लिया था, ताकि उनका पेट बाहर की तरफ ना निकले और उनका पेट सुरक्षित रहे ! यही सब का वर्णन इस मंदिर में जाने पर आपको गणेश जी की मूर्ति के रूप में देखने को मिलता है। इस मूर्ति पर लगभग 1500 ई के आसपास के शिलालेख भी मौजूद हैं जिसमें लिखा हुआ है कि यह मूर्ति विजयनगर साम्राज्य के राजा नरसिंह द्वितीय की याद में बनाई गई थी।ससिवेकालू गणेश जी मंदिर की बनावट वास्तु कला एकदम बहुत ही अलग और अद्भुत है गणेश जी को अर्ध कमल की मुद्रा में दिखाया गया है, जहां उनकी चार अलग-अलग भुजाएं हैं। ऊपरी दाएं और बाएं हाथ में एक अंकुश और एक टूटा हुआ दांत दिखाई देता है ,ऊपर दाहिने हाथ में लड्डू-मोदक और बाहिने हाथ में एक फंदे को देख पाएंगे, इस प्रतिमा के ऊपर एक बहुत ही विशालकाय भव्य मंडप बना हुआ है। अगर आप यह देखना चाहते हैं तो यह मूर्ति हेमाकूटा पहाड़ी के दक्षिणी भाग में है, जो एक दूसरे मंदिर कदलेकालू’ जो गणेश जी का ही मंदिर है उस से कुछ ही दूरी पर स्थित है फिर यहां पर आप इस मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं